Tuesday, August 18, 2020
Sunday, May 17, 2020
भारतीय ध्वज तिरंगा
रचनाकार :- उदय सिंह कोलियारे
ये तीन रंग के कहानी हे ,
सुन लो मोर जुबानी हे।
तीन रंग जब मिलीन एक संग ,
लाईस देश म ख़ुशी अपन संग।
त्याग तपस्या सब एमे जुड़े हे ,
कतको मनखे के जिनगी बुड़े हे।
पहली रंग बड़ा कमाल हे,
जेकर नाव केसरिया लाल हे।
ये रंग हवे पहचान कुर्बानी के,
परचय हवै सब आत्म दानी के।
दूसर रंग शांति के,जे गोरस जैसे एकदम सादा हे,
महत्त्व का बतावंव ये रंग के,कम नहीं बहुत जादा हे।
अमन प्रेम सुख शांति के,बोहाये येहा धारा हे,
जुरमिल के सब रहव एक,देवय संदेश झारा-झारा हे।
हरिहर रंग के का बात कहों,बड़ सुंदर बड़ निक अहो।
ये रंग हवय परिश्रम के,उत्साह अउ उमंग के।
ये रंग हवय खुशहाली के,धरती के हरियाली के।
गोल घेरा नीला रंग में,चौबीस ठन कांटा संग में।
समय ल बतावत हे,अपन संगे संग सबला चलावत हे।
चलिन जे एकर संग में,जीवन उंकर तरगे।
नई चलिस जे एकर संग में,वो फ़ोकटे फोकट मरगे।
आजादी के लड़ाई में,ये रंग के बहुत बड़े हाथ हे।
लइका सियान,नर-नारी,त्यागिन प्राण एक साथ हे।
केसरिया सफेद हरा संग,तिरंगा में चक्र के साथ हे।
टुटिस बेड़ी गुलामी के,ऊँचा उठिस भारत माँ के माथ हे।
संपादक :- मधु कुमार ठाकुर
Tuesday, April 21, 2020
अनुक्रमानुपात ,व्युत्क्रमानुपात कविता के साथ
रचनाकार :- उदय सिंह कोलियारे

आज अनुक्रम व्युत्क्रम का, छेड़ता हूँ मैं तराना।
सुनों ध्यान से प्यारे बच्चों,संग मेरे तुम्हें है गाना।
दो राशि के बीच में,जब तुलना करते हैं।
मान दोनों का प्यारे बच्चों,संग में विचरते हैं।
बढ़े मान जब एक राशि का,दूसरा बढ़ता है।
घटे मान जब एक राशि का,दूसरा घटता है।
दोनों राशि के बीच जिसमें,स्थिर अनुपात रहते हैं।
तब ऐसे विचरण को हम,अनुक्रम अनुपात कहते हैं।
घटे मान जब पहले राशि का,दूसरे का मान बढ़े।
बढ़े मान जब पहले राशि का,दूसरे का मान घटे।
विचरण की इस घटना में,व्युत्क्रम अनुपात रहता है।
गुणनफल इसमें नियत सदा,बात उदय ये कहता है।
संपादक :- मधु कुमार ठाकुर
Friday, April 3, 2020
कविता में बीजगणित
रचनाकार :- उदय सिंह कोलियारे
आओ आज सबको मैं,बीज गणित सिखाता हूँ।
चर क्या है,अचर क्या है,सबको दिखाता हूँ।
बदले जिसका मान परिस्थिति वश,चर वह कहलाता है।
रहे मान स्थिर जिसका,अचर मान बतलाता है।
बीजीय व्यंजक क्या है,हम सोचते रहते है।
चर-अचर से है जो बने,उसे बीजीय व्यंजक कहते हैं।
जोड़ घटाने की क्रिया में,नहीं कोई कठिनाई है।
सजातीय का सजातीय से क्रिया में,निश्चय ही भलाई है।
चर का चर से अचर का अचर से,कर दो गुणा या भाग।
चर यदि नहीं सजातीय,तो फिर उनसे ऐसे ही मत लाग।
संपादक :- मधु कुमार ठाकुर
यह गणितीय कविता रोचक और मजेदार लगा हो तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। साथ बीजीय व्यंजक से सम्बंधित समस्याओ के समाधान हेतु दिए लिंक बीजीय व्यंजक समस्या और समाधान के आलेख को अवश्य ही पढ़े।
Thursday, March 12, 2020
समीकरण में पक्षान्तर = लड़की के उपनाम में पक्षान्तर
दोस्तों आप सबके कुशलता की कामना के साथ मेरा सादर नमस्कार -
2x + 5 = 35
इस प्रश्न का जवाब बहुत ही आसान है और शायद आप सब इसे सरलता से हल भी कर पायेंगें। इसप्रकार के सवालों को जब मैं बच्चों को बताते रहता हूँ। तब मेरे जेहन में सिर्फ और सिर्फ एक ही बात कौंधते रहता है कि क्या इसका हल हमारे समाजिक ताने -बाने में ही विद्यमान है।क्या आप सबको ऐसा नहीं लगता।
आज से कुछ सप्ताह पहले मैंने शिल्पा शेट्टी कुंद्रा के माँ बनने की खबर पढ़ी थी। मुझे उनके नाम से ही इस लेख को लिखने का विचार आया था। अन्य सेलेब्रटीज़ जैसे - माधुरी दीक्षित नेने,जया बच्चन,प्रियंका चोपड़ा जोनस इत्यादि के नाम पर भी ध्यान दे। हालांकि इस विचार का प्रयोग मैं अपने अध्यापन के दौरान पहले ही कर चुका हूँ और इसका सकारात्मक प्रभाव निश्चत रूप से विद्यार्थिओं पर पड़ता है। यह परिवर्तित नाम उन सबों ने शादी के बाद अपनाया था। शादी से पहले उन अभिनेत्रियों का उपनाम क्रमशः शेट्टी,दीक्षित,भादुड़ी और चोपड़ा था। अर्थात यहां पर सामाजिक परिवर्तन दिखता है। या यों कहे की उपनाम में पक्षान्तर हो रहा है।
स्टूडेंट्स में फिल्म सेलेब्रेटीस के प्रति अधिक अट्रेक्शन होता है और मैं Example मात्र के लिए ही इन हस्तियों के नाम का जिक्र किया हूँ।ये सभी स्टार्स शादी के बाद अपने-अपने उपनामों को परिवर्तित किये है। हमारे घर में,आसपास में,हमारे समाज में यह बदलाव होता ही है।
सभी इस बारे में जानते भी है,परन्तु क्या यह परिवर्तन गणित के उस पक्षान्तर के Process को भी दर्शाता है। मेरी राय में :- जी हाँ बिल्कुल यह Surname में चेंज होना सामाजिक पक्षान्तर है जिसे एक गणित के शिक्षक होने के नाते समीकरण के पक्षान्तर से जोड़ के देखता हूँ।
बहरहाल सवाल 2 x + 5 = 35 पर बात करते हैं। यहां चर और अचर संख्याओं को बराबर चिन्ह के दोनों तरफ रख के समीकरण बनाया गया है।
2 x एक चर और 5, 35 अचर संख्या है। इसलिए हल करने के लिए पक्षान्तर के बाद बराबर के एक तरफ चर और दूसरे तरफ अचर को रखते हैं।
जैसे -
2 x + 5 = 35
2 x + 5 = 35
पक्षान्तर करने पर
2 x = 35 - 5
2 x = 35 - 5
2x = 30
समीकरण में संख्याओ के पक्षान्तर होने से जिसप्रकार संख्या का चिन्ह बदल जाता है, वैसे ही एक लड़की के शादी हो जाने पर उसके उपनाम में भी परिवर्तन होता है। तात्पर्य कि इन दोनों प्रक्रियाओं को बच्चों के समझ विस्तार के लिए एक समान माना जा सकता है। इसलिए समाजिक पक्षान्तर,गणित के समीकरण में संख्याओं के पक्षान्तर के माफिक है।
इसके विपरीत किताब में दिया गया हल बच्चों के संशय को दूर करने के बजाए शंका को बढ़ा देते हैं। किताबी हल निम्नानुसार है :-
2 x + 5 = 35
बराबर के दोनों तरफ 5 को घटाने पर
2 x + 5 - 5 = 35 - 5
उपरोक्तानुसर किताबी हल में बच्चों को बराबर के दोनों तरफ की संख्याओं में 5 को घटाना होगा। उन्हें कभी-कभी एक ही प्रकार के संक्रिया को पूरा करना जंग लड़ने जैसा लगता है और यहां पर तो एक जैसे दो संक्रिया को दो तरफ साथ-साथ करना होता है।
तब प्राप्त हल
2 x = 30
इसलिए मेरा मानना है कि तरीका जैसा भी हो Student को आसानी से समझ में आने वाला होना चाहिए। मुझे ऐसा भी लगता है कि शिक्षक होने के नाते किताबों में लिखे हुए शब्दों,वाक्यों और संख्याओं को हू-ब-हू कक्षा में दुहराना कतई अध्यापन नहीं हो सकता। बल्कि बच्चों के समझ में आने वाली दिक्कतों को अन्य विषय,समाज या परिवेश के साथ निहित अन्तर्सम्बन्ध से जोड़ने की विधियों का ईजाद कर समझ विस्तार करना चाहिए।
विषय कोई भी हो अध्ययन-अध्यापन के दौरान विषयों को अन्य विषयों, घटनाओं,समाज और वातावरण से समन्वय रख के पढ़ना चाहिए। चाहे गणित को विज्ञान से जोड़े या सामाजिक अध्ययन को संस्कृत जैसे भाषायिक विषय से मिला के पढ़े।
: आलेख अच्छा और सहायक लगे तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करे,पढ़ने के लिए सादर आभार व धन्यवाद :
Monday, March 9, 2020
चतुर्भुज के प्रकार
रचनाकार :-उदय सिंह कोलियारे
होली की अनंत शुभकामनायों के साथ नमस्कार
असंरेख बिंदु है ऐसे चार।
दो-दो मिलाकर घेरों तार।
चार भुजा की आकृति बनी अहो। सब मिलकर इसे चतुर्भुज कहो। चतुर्भुज का अपना एक ढंग है। चार भुजा,चार कोण,दो विकर्ण अंग है।
चतुर्भुज के होते हैं,अनेकानेक प्रकार। बहुत सरल है जानना,देखो इनका आकार।
सम्मुख भुजा समान समान्तर, कोण सभी 90 अंश है। ऐसे चतुर्भुज सभी,वो आयत वंश के है।
सभी भुजा समान समान्तर ,कोण सभी 90 अंश है। वर्ग इसे कहते हैं ,ये आयत का अपभ्रंश है। सम्मुख कोण समान जिसमें,भुजाएं ज्यादा न कम है। नहीं और कोई दूसरा,वो चतुर्भुज सम है।
दो भुजाएं असमान जिसमें,दो भुजाएं समान्तर पड़ा है। समझो मेरे प्यारे बच्चो,चतुर्भुज समलंब खड़ा है। संपादक :-मधु कुमार ठाकुर
चार भुजा की आकृति बनी अहो। सब मिलकर इसे चतुर्भुज कहो। चतुर्भुज का अपना एक ढंग है। चार भुजा,चार कोण,दो विकर्ण अंग है।
चतुर्भुज के होते हैं,अनेकानेक प्रकार। बहुत सरल है जानना,देखो इनका आकार।
सम्मुख भुजा समान समान्तर, कोण सभी 90 अंश है। ऐसे चतुर्भुज सभी,वो आयत वंश के है।
सभी भुजा समान समान्तर ,कोण सभी 90 अंश है। वर्ग इसे कहते हैं ,ये आयत का अपभ्रंश है। सम्मुख कोण समान जिसमें,भुजाएं ज्यादा न कम है। नहीं और कोई दूसरा,वो चतुर्भुज सम है।
दो भुजाएं असमान जिसमें,दो भुजाएं समान्तर पड़ा है। समझो मेरे प्यारे बच्चो,चतुर्भुज समलंब खड़ा है। संपादक :-मधु कुमार ठाकुर
Saturday, February 29, 2020
इंसान और उसकी इंसानियत
रचनाकार --- उदय सिंह कोलियारे
भगवान तेरे इंसान की हालात, क्या हो गयी है आज।
तार-तार कर रहे अस्मिता, जरा न आवे लाज।
करतूत है ऐसी इंसानों की, लज्जा भी शर्मा जाये।
देख रहे हो पत्थर बनकर, तुम क्यों नजर झुकाये।
कितने ही अरमानों से, तुमने इंसान बनाया होगा।
कितनी रातें,कितने दिन तक, तुमने इन्हें बनाया होगा।
सोचा होगा तुमने यह भी, इंसान मेरी सर्वोत्तम कृति है।
भूल गए इंसान तुझे भी, पशुओं सा उसकी प्रवृति है।
द्वार तुम्हारे चढ़ कर वह तो, इंसानियत को रौंदा है।
अस्तित्व तुम्हारा है कि नहीं, सवाल मन में कौंधा है।
अस्तित्व तुम्हारा है यदि, आ करके इन्साफ करो।
लूटा जो मासूम की इज्जत, आ करके उन्हें साफ़ करो।
नहीं बैर है मेरा तुझसे, मुझे बस यही कहना है।
लुटे ना मासूम की इज्जत, जो उसका गहना है।
इंसान बनाया है तो भगवन, सबमें इंसानियत भर दें।
डिगे नहीं मन किसी का, सबकी ऐसी नजर कर दे।
पिछले Blog को नहीं पढ़े हैं तो इस लिंक धरती के शृंगार- "पेड़" में जाके देखें।
"सधन्यवाद"
सम्पादक :-मधु कुमार ठाकुर
भगवान तेरे इंसान की हालात, क्या हो गयी है आज।
तार-तार कर रहे अस्मिता, जरा न आवे लाज।
करतूत है ऐसी इंसानों की, लज्जा भी शर्मा जाये।
देख रहे हो पत्थर बनकर, तुम क्यों नजर झुकाये।
कितने ही अरमानों से, तुमने इंसान बनाया होगा।
कितनी रातें,कितने दिन तक, तुमने इन्हें बनाया होगा।
सोचा होगा तुमने यह भी, इंसान मेरी सर्वोत्तम कृति है।
भूल गए इंसान तुझे भी, पशुओं सा उसकी प्रवृति है।
द्वार तुम्हारे चढ़ कर वह तो, इंसानियत को रौंदा है।
अस्तित्व तुम्हारा है कि नहीं, सवाल मन में कौंधा है।
अस्तित्व तुम्हारा है यदि, आ करके इन्साफ करो।
लूटा जो मासूम की इज्जत, आ करके उन्हें साफ़ करो।
नहीं बैर है मेरा तुझसे, मुझे बस यही कहना है।
लुटे ना मासूम की इज्जत, जो उसका गहना है।
इंसान बनाया है तो भगवन, सबमें इंसानियत भर दें।
डिगे नहीं मन किसी का, सबकी ऐसी नजर कर दे।
पिछले Blog को नहीं पढ़े हैं तो इस लिंक धरती के शृंगार- "पेड़" में जाके देखें।
"सधन्यवाद"
सम्पादक :-मधु कुमार ठाकुर
Tuesday, February 25, 2020
धरती के शृंगार- "पेड़
रचनाकार ;-उदय कोलियारे
जनम मरन के ये संगवारी, महिमा कतिक मे गाव।
पेड़ बिना प्रकृति अधुरा, जीवन सब मर जाहि,
रौद्र रूप भीषण गर्मी म,धरती ह जर जाही।।
मनखे मन के मति भ्रष्ट हे,पेड़ बहुत कटत हे,
पेड़ बहुत कटावत हे,वर्षा कहा ले होही,
बिना अनाज के जीव-जंतु सब,प्राण अपन खोही।
वर्षा के अभाव में,नदी -तरिया सब सुखही,
सोचों बिना पानी के तब जीवन कतिक दुखही।।
कमती होंगे जीवन धरती म,रोग बहुत बटत हे।
पेड़ नहीं रही अगर त,हवा कहाँ से आही,
हवा बिना सब जीव जंतु मन,सोंचव कहाँ वो जाही।।
पेड़ नहीं रही अगर त,हवा कहाँ से आही,
हवा बिना सब जीव जंतु मन,सोंचव कहाँ वो जाही।।
पेड़ बहुत कटावत हे,वर्षा कहा ले होही,
बिना अनाज के जीव-जंतु सब,प्राण अपन खोही।
वर्षा के अभाव में,नदी -तरिया सब सुखही,
सोचों बिना पानी के तब जीवन कतिक दुखही।।
Monday, January 6, 2020
प्रतियोगी परीक्षा के पीछे का विज्ञान
नमस्कार दोस्तों,
बात यही कोई तकरीबन दो -ढाई साल पहले की है जब मैं CGPSC 2016 का मुख्य परीक्षा लिख के आया था। EXAM की तैयारी के दौरान सभी प्रतियोगियों के जैसे मैंने भी जब(2012) से पैटर्न बदला था,तब से का UNSOLVED PAPER रखा था। मुख्य परीक्षा के तीसरे पेपर भारतीय इतिहास और संविधान की तैयारी करते वक्त मुझे जरा भी नहीं लगा था कि शिवाजी के बारे में कोई प्रश्न पूछा जा सकता था। क्योंकि पैटर्न CHANGE होने के बाद तक कभी भी इस प्रकार के प्रश्न को पूछा नहीं गया था।
उस साल एक MOVIE खूब फेमस हुआ था जिसका टाइटल नाम था --बाजीराव मस्तानी। जिसमे शिवाजी के प्रधानमंत्री बाजीराव की कहानी को दिखाया गया था। इस फिल्म में शिवाजी केंद्रीय पात्र नहीं थे। एक फ़िल्मकार सभी प्रकार के दर्शकों को ध्यान में रखकर कोई फिल्म बनाते हैं जिसमें सभी प्रकार के मसालों को भरा जाता है.ताकि Movie को सराहना तो मिले ही साथ ही फिल्म खूब सारा लागत को वसूल कर पाए।
लेकिन हम लोग कोई Movie देखते हैं तो सिर्फ मनोरंजन के दृष्टिकोण से देखते है ना। इसलिए हमें हमारी आवश्यकताओं का सामान सामान्य घटनाओं में नहीं मिल पता है। PSC या UPSC की तैयारी करने वालों को Local Man की सोच से अलग विचार रखना होगा।
जब हम प्रशासन में जाने के लिए इतनी पढ़ाई और मेहनत करते हैं तो हमें हरेक क्रियाकलाप और घटना को हमारे सब्जेक्ट्स से जोड़कर देखने की कोशिश करनी चाहिए।यहीं पर मुझसे चूक हो गया और मैं इतिहास के उस भाग को स्किप कर गया जिसमें शिवाजी के बारे में दिया गया है। एग्जाम के बाद मैं अपना Valuation करने के लिए जब सभी प्रश्नपत्रों को फिर से खंगाला और ठन्डे दिमाग से सोचा तब महसूस हुआ कि परीक्षा की तैयारी में ज्यादा पढ़ना ही काफी नहीं है बल्कि क्या पढ़ना और कब पढ़ना है ये भी जानना उतना ही Important है।
लेकिन हम लोग कोई Movie देखते हैं तो सिर्फ मनोरंजन के दृष्टिकोण से देखते है ना। इसलिए हमें हमारी आवश्यकताओं का सामान सामान्य घटनाओं में नहीं मिल पता है। PSC या UPSC की तैयारी करने वालों को Local Man की सोच से अलग विचार रखना होगा।
जब हम प्रशासन में जाने के लिए इतनी पढ़ाई और मेहनत करते हैं तो हमें हरेक क्रियाकलाप और घटना को हमारे सब्जेक्ट्स से जोड़कर देखने की कोशिश करनी चाहिए।यहीं पर मुझसे चूक हो गया और मैं इतिहास के उस भाग को स्किप कर गया जिसमें शिवाजी के बारे में दिया गया है। एग्जाम के बाद मैं अपना Valuation करने के लिए जब सभी प्रश्नपत्रों को फिर से खंगाला और ठन्डे दिमाग से सोचा तब महसूस हुआ कि परीक्षा की तैयारी में ज्यादा पढ़ना ही काफी नहीं है बल्कि क्या पढ़ना और कब पढ़ना है ये भी जानना उतना ही Important है।
फिल्म देखने के बाद अगर अगले एक दिन में मैं इतिहास के उस हिस्से को थोड़ा सा भी देख लिया होता तो शायद मुझे वह प्रश्न उतना अटपटा नहीं लगता। एवं मैं दूसरे प्रतियोगी से अलग विचार रखने वाला बन पाया रहता। हम सब लोग जिसप्रकार स्कूल्ज में पढ़ते है उसी तरीके से ही Competition Exam की तैयारी भी करते है इसलिए सफलता के लिए हमे ज्यादा इंतजार करना पड़ता है।
यदि हमारी तैयारी इसीप्रकार साइंटिफिक तरीके की होगी तो हम पूछे जाने वाले बहुत कुछ प्रश्नों को Predict कर सकते हैं। और फिर हमारी जो सोच अभी तक की बनी हुयी है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में कुछ भी पूछा जा सकता है,यह बिलकुल भ्रम लगने लगेगा। अगर आपके Exam की तैयारी सभी विषयों में इसीप्रकार की होगी तो आपका आत्मविश्वास भी बढ़ते जायेगा।
यदि हमारी तैयारी इसीप्रकार साइंटिफिक तरीके की होगी तो हम पूछे जाने वाले बहुत कुछ प्रश्नों को Predict कर सकते हैं। और फिर हमारी जो सोच अभी तक की बनी हुयी है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में कुछ भी पूछा जा सकता है,यह बिलकुल भ्रम लगने लगेगा। अगर आपके Exam की तैयारी सभी विषयों में इसीप्रकार की होगी तो आपका आत्मविश्वास भी बढ़ते जायेगा।
देश -विदेश में इतनी सारी घटनायें घटते रहती है जो कि किसी ना किसी सब्जेक्ट से रीलेटेड रहती है ,बस हमे जागरूक रहने की जरुरत रहती है।अगर हम प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते हैं तो प्रतिदिन की राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय घटनाक्रमो को इतिहास,भूगोल,अर्थशास्त्र,विज्ञान,और संविधान की दृष्टि से देखना चाहिए।
अतः जागरूक एवं संवेदनशील परीक्षार्थियों को किसी भी घटना के घटित होने पर उपरोक्त 4 -5 विषयों से जोड़कर देखना चाहिए और अगर उस घटना का विषयों से जरा भी संबंध हो तो उस विषय के उस कड़ी को पढ़ लेना चाहिए। यह तरीका सभी प्रतियोगियों अपनाना चाहिए।
आगामी परीक्षाओं के लिए बधाई और अनंत शुभकामनायें
आगामी परीक्षाओं के लिए बधाई और अनंत शुभकामनायें
सधन्यवाद
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