रचनाकार :-उदय सिंह कोलियारे
होली की अनंत शुभकामनायों के साथ नमस्कार
असंरेख बिंदु है ऐसे चार।
दो-दो मिलाकर घेरों तार।
चार भुजा की आकृति बनी अहो। सब मिलकर इसे चतुर्भुज कहो। चतुर्भुज का अपना एक ढंग है। चार भुजा,चार कोण,दो विकर्ण अंग है।
चतुर्भुज के होते हैं,अनेकानेक प्रकार। बहुत सरल है जानना,देखो इनका आकार।
सम्मुख भुजा समान समान्तर, कोण सभी 90 अंश है। ऐसे चतुर्भुज सभी,वो आयत वंश के है।
सभी भुजा समान समान्तर ,कोण सभी 90 अंश है। वर्ग इसे कहते हैं ,ये आयत का अपभ्रंश है। सम्मुख कोण समान जिसमें,भुजाएं ज्यादा न कम है। नहीं और कोई दूसरा,वो चतुर्भुज सम है।
दो भुजाएं असमान जिसमें,दो भुजाएं समान्तर पड़ा है। समझो मेरे प्यारे बच्चो,चतुर्भुज समलंब खड़ा है। संपादक :-मधु कुमार ठाकुर
चार भुजा की आकृति बनी अहो। सब मिलकर इसे चतुर्भुज कहो। चतुर्भुज का अपना एक ढंग है। चार भुजा,चार कोण,दो विकर्ण अंग है।
चतुर्भुज के होते हैं,अनेकानेक प्रकार। बहुत सरल है जानना,देखो इनका आकार।
सम्मुख भुजा समान समान्तर, कोण सभी 90 अंश है। ऐसे चतुर्भुज सभी,वो आयत वंश के है।
सभी भुजा समान समान्तर ,कोण सभी 90 अंश है। वर्ग इसे कहते हैं ,ये आयत का अपभ्रंश है। सम्मुख कोण समान जिसमें,भुजाएं ज्यादा न कम है। नहीं और कोई दूसरा,वो चतुर्भुज सम है।
दो भुजाएं असमान जिसमें,दो भुजाएं समान्तर पड़ा है। समझो मेरे प्यारे बच्चो,चतुर्भुज समलंब खड़ा है। संपादक :-मधु कुमार ठाकुर
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