रचनाकार :- उदय सिंह कोलियारे
ये तीन रंग के कहानी हे ,
सुन लो मोर जुबानी हे।
तीन रंग जब मिलीन एक संग ,
लाईस देश म ख़ुशी अपन संग।
त्याग तपस्या सब एमे जुड़े हे ,
कतको मनखे के जिनगी बुड़े हे।
पहली रंग बड़ा कमाल हे,
जेकर नाव केसरिया लाल हे।
ये रंग हवे पहचान कुर्बानी के,
परचय हवै सब आत्म दानी के।
दूसर रंग शांति के,जे गोरस जैसे एकदम सादा हे,
महत्त्व का बतावंव ये रंग के,कम नहीं बहुत जादा हे।
अमन प्रेम सुख शांति के,बोहाये येहा धारा हे,
जुरमिल के सब रहव एक,देवय संदेश झारा-झारा हे।
हरिहर रंग के का बात कहों,बड़ सुंदर बड़ निक अहो।
ये रंग हवय परिश्रम के,उत्साह अउ उमंग के।
ये रंग हवय खुशहाली के,धरती के हरियाली के।
गोल घेरा नीला रंग में,चौबीस ठन कांटा संग में।
समय ल बतावत हे,अपन संगे संग सबला चलावत हे।
चलिन जे एकर संग में,जीवन उंकर तरगे।
नई चलिस जे एकर संग में,वो फ़ोकटे फोकट मरगे।
आजादी के लड़ाई में,ये रंग के बहुत बड़े हाथ हे।
लइका सियान,नर-नारी,त्यागिन प्राण एक साथ हे।
केसरिया सफेद हरा संग,तिरंगा में चक्र के साथ हे।
टुटिस बेड़ी गुलामी के,ऊँचा उठिस भारत माँ के माथ हे।
Bahut sundar geet vande matram
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