Monday, December 2, 2019

मानव जीवन ,रंग और 7 का मेल


                       

             

                   बचपन में जब हम इन्द्रधनुष को देखते हैं ,तब उसकी सतरंगी छटा बालमन में अद्भुत रंगीन कल्पनाओं ,उमंगों का संचार करती है और हम प्रकृति के ताकत का अनुभव करते हैं। इंद्रधनुष के सात रंगों को देखने से मन प्रफुल्लित हो उठता है।इंद्रधनुष में VIBGYOR के 7 ही रंग होते है जिसे Science भी सिद्ध करता है। इंद्रधनुष में सभी गहरे रंग होते है जो सभी हल्के रंगों को अपने में समाहित करने का गुण रखता है। 




                    मन में यह विचार भी कौंधता है कि अगर दुनिया में रंग ना होते तो ये बेरंगी संसार लोगों को कितना उबाऊ और बोझिल लगता। शायद तितली भी इतनी खूबसूरत नहीं होती। बाघ और तेंदुआ को देखकर दोनों में विभेद करना बड़ा मुश्किल हो जाता। मुझे लगता है कि इंसान कपड़े पहनने वाले आदिमानव लगते। उनको कपड़ों के रंगों से पहचान पाना बड़ा मुश्किल होता शायद। 

            हमारी दृश्यगत क्षमता उतनी अच्छीऔर Strong नहीं होती। एक तरह से हम देखने वाले अंधे की तरह होते ,जिसे दिखाई तो सब देता है पर देखकर समझने की शक्ति क्षीण होती।हम Confusing जिंदगी जीने में मजबूर होते, और हमारा COMMON SENS भी NON-SENS बन गया होता। अर्थात ये जो रंग है हमारे जीवन में महत्वपूर्ण ROLL PLAY करता है।

  


                 कभी-कभी मुझे लगता है कि भारतीय पुरातन विचार और Mythology में 7 का अंक रचबस गया है। एक बच्चे के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक इस तथाकथित 7 का साथ नहीं छूटता है।      हमारे पुराणों और वैदिक ग्रंथों में 7 जन्मों ,7 फेरों ,7 महासागरों ,7 महाद्वीपों और इंद्रधनुष के 7 रंगों इत्यादि का उल्लेख किया गया है। जो कि हमारे जीवन में 7 प्रकार के रंग के महत्त्व को रेखांकित और प्रचारित करता है। 

           हमारे भारतीय पूर्वज चिंतन,मननऔर विचारों की गहराई से ये जो जिंदगी जीने के अद्भुत तरीकों की खोज किये थे। वह आज के आधुनिक प्रगतिवान,चिंतनशील,वैज्ञानिक समझ वालों के लिए भी अचंभित कर देने वाला सवाल बन गया है। वामपंथी विचारधारा के लोग इसे वैदिक पीरियड का बड़बोलापन या पाखंड सोच तक ही सीमित करके इतने बड़े वैचारिक क्रांति को कमतर आंकने की कोशिश कर सकते है।     
                         
                  वर्तमान युग में इस पौराणिक सिध्दांत का सिर्फ एक ही समान्तर प्रयोग हो सकता कि सूर्य की रोशनी में भी अप्रत्यक्ष रूप से 7 रंग समाहित होते है। जब प्रिज्म से होकर प्रकाश की किरणों को गुजारी जाती है तो किरणें अपने स्प्रेक्टम में विभाजित हो जाती है। और मजेदार बात ये है कि इन  Colourful Sprectum की संख्या भी 7 होती है। ये वही तथ्य है जो भारतीय वैचारिक सोच को वैज्ञानिक प्रयोग के साथ मिलाती है।  
                                                         

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