Wednesday, December 25, 2019

वर्गमूल निकालने के आसान तरीके

                फ्रेंड्स नमस्कार ,





                       वर्गमूल दो शब्दों के मेल से बना है -वर्ग और मूल। अगर हम इनके शब्दों पर जायें तो भिन्न -भिन्न अर्थ मिलेंगे।वर्गमूल ,वर्ग की एक प्रतिलोम संक्रिया है। यहाँ पर विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि सबसे पहले हमें वर्ग संख्या को याद रखने चाहिए।
                  उसके बाद ही वर्गमूल (Square Root) निकालने की विधियों का अभ्यास किया जाये। तभी वर्गमूल निकालना समस्या ना होकर एक खेल बन जायेगा। यहाँ पर हम सिर्फ वर्ग और वर्गमूल के बीच के संबधों की चर्चा करेंगे। जिससे वर्गमूल आसानी से और Without Calculation के निकाला जा सके। 
                  वर्गमूल भी एक मजेदार टॉपिक्स है,आज हम इसी पर बात करेंगे।दिए गए संख्या का वर्गमूल निकालने का मतलब है कि -उस संख्या के वर्गान्तर्गत ,मूल संख्या क्या है? यही निकलना ही वर्गमूल ज्ञात करना है। 
                 हमने पिछले Blog में वर्ग के कुछ अहम गुणधर्मों पर बात किये थे। अगर आप उस ब्लॉग को पढ़ नहीं पाए है तो दिए गए लिंक में https://mknewtalk.blogspot.com/2019/12/blog-post_21.html में जा के पढ़ सकते है।

                

1 .संख्या समूह का सबसे सरल वर्गमूल संख्या 



                   ये जो संख्या समूह के बॉटम वाली संख्या होती है बड़ा अद्भुत व अद्वितीय होता है। जिसे कमजोर से कमजोर छात्र भी आसानी से याद कर लेता है। इसी खास वजह से सबसे पहले इन Bottom Edge की संख्याओं के वर्ग को याद करने चाहिए। सरल होने के कारण इन संख्याओं के वर्ग जल्दी से याद भी हो जाते है। 


                       संख्या                      वर्ग 

                         10                         100

                         20                         400

                         30                         900

                         40                        1600

                         50                        2500

                         60                        3600 


    

2  .प्रश्न संख्या और वर्गमूल संख्या की इकाइयाँ

 

               प्रश्न संख्या के इकाई अंक को देखें यदि इकाई में  1,4,5,6,9,0 हो तो उन प्रश्न संख्याओं के ही पूर्ण वर्गमूल निकाले जा सकने की सम्भाना होगी।और उनके वर्गमूल वाली संख्याओं की इकाइयाँ क्रमशः 1-9 , 2- 8,  5 , 3 -7 , 4 -6, 0  में आती है। 
     

जैसे -      संख्या               वर्गमूल 
                 

                 1,  81               1, 9        संख्या में 1 है पर वर्गमूल की इकाई में 1 और 9 आया है। 

                 4,  64               2 , 8        यहाँ पर इकाई 4 है तो वर्गमूल संख्या की इकाई में क्रमशः 2                                                                       और 8 हैं।   
                      
                 9, 49                 3, 7         संख्या का इकाई यदि 9 हो तो वर्गमूल की इकाई में 3 या 7 आती है। 


                 5, 25                  5         और अगर 5 इकाई वाली संख्या हो तो वर्गमूल की इकाई में 5 ही                                                                 
             
                 16, 36               4, 6         यहाँ देखें तो इकाई 6 है तो वर्गमूल में 4 या 6 आ सकता है।


इसीप्रकार 
             
                 900                    30         यहाँ पर संख्या और वर्गमूल दोनों की इकाई में 0 है। 


                        जब हम इसका अभ्यास करते जायेंगें तो हम दी गयी संख्या का वर्गमूल नियमतः निकाले बगैर उसके सही हल तक पहुँच सकेंगें।  



3 . संख्या समूह के प्रारम्भ,मध्य,और नीचे की संख्या का वर्गमूल 


                          
                      जब हम उपर्युक्त दो चरणों के काम को अच्छे से कर लें तब यह तीसरा महत्पूर्ण Steps पर काम करेंगें ।यहाँ पर हम संख्या समूह के प्रत्येक स्तम्भ के प्रथम,मध्य,और नीचे के संख्याओं के वर्ग संख्या का भी अध्ययन और अभ्यास करेंगे। 

जैसे :-                                   1 स्तम्भ          वर्ग           2 स्तम्भ      वर्ग 

                    प्रथम                     21             441                31          961 

                     मध्य                     25             625                35         1225  

                     नीचे                     30              900               40         1600         
                  
                            
                   इसीप्रकार से छात्रों को कम से कम 100 तक की संख्याओं के वर्ग को याद रखने की कोशिश करनी चाहिए। 




अभ्यास के लिए - 

 

                 जैसे किसी ने हमे पूछा कि 4216 का वर्गमूल क्या होगा। उपरोक्त 4 चरणों में इस सवाल को निम्न बिंदुवार परखेंगे :- 

1 .      पहले हम देखेंगें कि यह जो 4216 है। संख्या स्तम्भ के Bottom Edge के कौन -कौन से संख्याओं               के मध्य में आता है।अगर हम ऊपर के First Step पर जबरदस्त होमवर्क किये होंगे। तो हमको                 इसका उत्तर मिल जायेगा कि यह 60 और 70 के मध्य की कोई एक Root Square है। 

2 .      अब हम प्रश्न संख्या के इकाई को देखते है तो 6 अंक मिलता है। और हम जानते है कि संख्या के               इकाई में जब  6  हो तो उसके वर्गमूल वाली संख्या के इकाई में 4 या तो 6 मिलेगा। 

3 .      तब उस संख्या स्तम्भ के मध्य वाली संख्या जो की  65  है,को देखते हैं। तथा 65 का वर्ग 4225                     होगा,जो की पूछे गए 4216 से ज्यादा है। इसलिए सही उत्तर 61 और 65 के बीच में मिलेगा। 

4 .      अतः सही उत्तर 64 होगा। Conformation के लिए 64 का वर्ग निकालते हैं तो 4216 प्राप्त हो जाता            है। 
                      तत्पश्चात 4216 का वर्गमूल निकालेंगे तो 64 प्राप्त होगा। 





                   इसप्रकार हम देखते हैं कि उपर्युक्त तीनों बातों को अगर छात्र बार-बार पढ़े और अभ्यास करे तो मुझे नहीं लगता की छात्रों को वर्ग और वर्गमूल से जुड़े कठिनाईयों से दो-दो हाथ करने में ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ेगा। 
                               
                    अगर यह Post आपको Square Root निकालने में Helpful लगा हो तो कमेंट करें और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।            



                                                         सधन्यवाद         

                          

Saturday, December 21, 2019

वर्ग (अंकगणित )

                                    गणित में  "वर्ग"  नामक शब्द दो प्रकार के मायनों के लिए प्रचलन में आता है। एक अंकगणित में और दूसरा रेखागणित में। अंकगणित के वर्ग के बारे में आज बात करते हैं।जिसमें कहा गया है कि "किसी संख्या का वर्ग -उस दी हुयी संख्या को स्वयं उसी संख्या से गुना करने पर प्राप्त गुणनफल होता है। 

जैसे --               4 का वर्ग  .......     4 * 4    =   16










                     
                    इससे पहले आपको याद दिला दूँ कि हमने पिछले Blog में बीजीय गणित के कुछ अहम समस्याओं पर बात किये थे। अगर आप उस ब्लॉग को पढ़ नहीं पाए है तो दिए गए लिंकhttps://mknewtalk.blogspot.com/2019/12/blog-post_9.html में जा के पढ़ सकते है।

                

वर्ग संख्या के गुणधर्म ----

                         

1 .   पूर्ण वर्ग संख्याओं के इकाईओं में केवल --0,1,4,5,6, और 9 ही आता है।   

2 .   एक प्राकृत संख्या का वर्ग, एक पूर्ण वर्ग संख्या होती है यदि वह एक प्राकृत संख्या है। 

3 .  सम संख्याओं का वर्ग एक सम संख्या ही होती है। 

4 .  एक पूर्ण वर्ग  (1 के अतिरिक्त ) को सदैव समान अभाज्य गुणनखण्डों के युग्मों के गुणनफल के रूप              में व्यक्त किया जाता है।

5 . n  और  n+1 संख्याओं के वर्गों के बीच  2n  प्राकृत संख्या होती है।   

6 .  एक संख्या के अंत में शून्यों की संख्या अगर विषम हो तो वह पूर्ण वर्ग नहीं होता है।

7 . किसी संख्या में 2 का घात लगे होने पर उसका सरल मान ही वर्ग कहलाता है। 


             

    

Monday, December 9, 2019

बीजीय व्यंजक समस्या और समाधान

                                         

                      बच्चों में गणित के नाम से वैसे भी दहशत बना हुआ रहता है। गणित विषय में सबसे ज्यादा जटिल लगने वाले चैप्टर्स में से एक का नाम बीजीय व्यंजक है। बीजीय व्यंजक का कठिन लगने का कारण शायद चर का अचर संख्या के साथ जुड़ा होना भी है। बच्चों को जब संख्यात्मक सवालों को हल करने में तथाकथित समस्या आती है तो बीजीय व्यंजक के प्रश्नों को हल करना भी एक आश्चर्य जैसा ही बन जाता है। हम यहाँ बीजीय व्यंजकों के पद,गुणांक,गुणनखंड,आदि के बारे में बात नहीं करेंगे। बीजीय व्यंजक के प्रश्न कैसे सरल लगे हम इस आर्टिकल में जानेंगे और समझने की कोशिश करेंगे।




(1)    चर वह संख्या होती है ,जिसका मान परिवर्तनशील होता है जैसे :- X,Y,Z......इत्यादि और अचर वह  है जिसका मान निश्चित होता है,बदलता नहीं है ,जैसे :- 1,2,3 ..... इत्यादि
  
  
(2)    दूसरी सबसे जरूरी बात ये है कि संख्याओं के जोड़ने-घटाने के नियम या तरीकों को पहले अच्छे से मतलब Class 1 से ही Teachers के द्वारा बताया जाना चाहिए।क्योंकि आगे के Class में बीजीय व्यंजकों के योग और अंतर भी ऐसे ही सामान्य नियमों के जैसे ही Calculate होना है। जिनसे Students का संसय Clear हो जाये।


 (3)     सभी अचर संख्याओं का चिन्ह होता है। और उन संख्याओं का चिन्ह संख्या के सामने में लगा होता है ऐसा मानते हैं। जिस संख्या के सामने कोई चिन्ह लगा ना हो ,उसे धन चिन्ह (+) वाला संख्या मान लेते हैं। चिन्हों के अनुसार ही संख्याओं का योग और अंतर होता है। ना कि संख्याओं के बीच में लगने वाले चिन्हों के आधार पर ही संख्याओं का जोड़ और घटाव होता है।          


उदाहरण :-                                  4 + 3 =7  मतलब
  
                        +4 + 3 =+7      और   -4 - 3  = -7

                       4a + 3a = 7a     और      -4a -3a =-7a  
                   


                 तात्पर्य ये की समान चिन्ह वाले संख्याएँ आपस में जुड़ेंगे और जो दोनों संख्याओं का चिन्ह होगा, वही चिन्ह योगफल वाले संख्या का भी होगा। इसके उलटअलग-अलग चिन्ह वाले संख्याओं मेंअंतर की संक्रिया होती है। 



                                     4 -3 =1   और   -3 + 4 = 1
               
                          4x-3x =x   और   -3x+4x=1x 



                      यहाँ पर जिस संख्या को आमतौर पर बड़ा माना जाता है,अंतरफल में उसी संख्या का चिन्ह लगाया जाता है।
  

(4 )    बच्चों को Class में जाने से पूर्व सम्बंधित Topic का पूर्वाभ्यास करना चाहिए। फिर उसी दिन शाम को होमवर्क भी जरूर करना चाहिए।और इसीप्रकार के प्रश्नों को हल करने का अभ्यास करना चाहिए ,जिससे Topic का Concept क्लियर हो जाये।


(5 )     बच्चों को चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा सवालों को हल करने का अभ्यास करें।अभ्यास ही आपके मन में गणित विषय के प्रति Interest बढ़ाने का कार्य करेगा और Confidence आएगा।फिर गणित ही सबसे  सरल और आसान लगने लगेगा।सिर्फ यही एकमात्र वह Subject है जिसे गीत सुनते,गुनगुनाते पढ़ा व समझा जा सकता है।               

Monday, December 2, 2019

मानव जीवन ,रंग और 7 का मेल


                       

             

                   बचपन में जब हम इन्द्रधनुष को देखते हैं ,तब उसकी सतरंगी छटा बालमन में अद्भुत रंगीन कल्पनाओं ,उमंगों का संचार करती है और हम प्रकृति के ताकत का अनुभव करते हैं। इंद्रधनुष के सात रंगों को देखने से मन प्रफुल्लित हो उठता है।इंद्रधनुष में VIBGYOR के 7 ही रंग होते है जिसे Science भी सिद्ध करता है। इंद्रधनुष में सभी गहरे रंग होते है जो सभी हल्के रंगों को अपने में समाहित करने का गुण रखता है। 




                    मन में यह विचार भी कौंधता है कि अगर दुनिया में रंग ना होते तो ये बेरंगी संसार लोगों को कितना उबाऊ और बोझिल लगता। शायद तितली भी इतनी खूबसूरत नहीं होती। बाघ और तेंदुआ को देखकर दोनों में विभेद करना बड़ा मुश्किल हो जाता। मुझे लगता है कि इंसान कपड़े पहनने वाले आदिमानव लगते। उनको कपड़ों के रंगों से पहचान पाना बड़ा मुश्किल होता शायद। 

            हमारी दृश्यगत क्षमता उतनी अच्छीऔर Strong नहीं होती। एक तरह से हम देखने वाले अंधे की तरह होते ,जिसे दिखाई तो सब देता है पर देखकर समझने की शक्ति क्षीण होती।हम Confusing जिंदगी जीने में मजबूर होते, और हमारा COMMON SENS भी NON-SENS बन गया होता। अर्थात ये जो रंग है हमारे जीवन में महत्वपूर्ण ROLL PLAY करता है।

  


                 कभी-कभी मुझे लगता है कि भारतीय पुरातन विचार और Mythology में 7 का अंक रचबस गया है। एक बच्चे के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक इस तथाकथित 7 का साथ नहीं छूटता है।      हमारे पुराणों और वैदिक ग्रंथों में 7 जन्मों ,7 फेरों ,7 महासागरों ,7 महाद्वीपों और इंद्रधनुष के 7 रंगों इत्यादि का उल्लेख किया गया है। जो कि हमारे जीवन में 7 प्रकार के रंग के महत्त्व को रेखांकित और प्रचारित करता है। 

           हमारे भारतीय पूर्वज चिंतन,मननऔर विचारों की गहराई से ये जो जिंदगी जीने के अद्भुत तरीकों की खोज किये थे। वह आज के आधुनिक प्रगतिवान,चिंतनशील,वैज्ञानिक समझ वालों के लिए भी अचंभित कर देने वाला सवाल बन गया है। वामपंथी विचारधारा के लोग इसे वैदिक पीरियड का बड़बोलापन या पाखंड सोच तक ही सीमित करके इतने बड़े वैचारिक क्रांति को कमतर आंकने की कोशिश कर सकते है।     
                         
                  वर्तमान युग में इस पौराणिक सिध्दांत का सिर्फ एक ही समान्तर प्रयोग हो सकता कि सूर्य की रोशनी में भी अप्रत्यक्ष रूप से 7 रंग समाहित होते है। जब प्रिज्म से होकर प्रकाश की किरणों को गुजारी जाती है तो किरणें अपने स्प्रेक्टम में विभाजित हो जाती है। और मजेदार बात ये है कि इन  Colourful Sprectum की संख्या भी 7 होती है। ये वही तथ्य है जो भारतीय वैचारिक सोच को वैज्ञानिक प्रयोग के साथ मिलाती है।  
                                                         

परिमेय सँख्या और भिन्न सँख्या में अंतर

दोस्तों नमस्कार,                         बहुत महिनों बाद आज यह आर्टिकल लिख रहा हूँ। निरंतरता की इस रूकावट के लिए मैं माफी चाहता हूँ। जैसा कि...