रचनाकार :- उदय सिंह कोलियारे

आज अनुक्रम व्युत्क्रम का, छेड़ता हूँ मैं तराना।
सुनों ध्यान से प्यारे बच्चों,संग मेरे तुम्हें है गाना।
दो राशि के बीच में,जब तुलना करते हैं।
मान दोनों का प्यारे बच्चों,संग में विचरते हैं।
बढ़े मान जब एक राशि का,दूसरा बढ़ता है।
घटे मान जब एक राशि का,दूसरा घटता है।
दोनों राशि के बीच जिसमें,स्थिर अनुपात रहते हैं।
तब ऐसे विचरण को हम,अनुक्रम अनुपात कहते हैं।
घटे मान जब पहले राशि का,दूसरे का मान बढ़े।
बढ़े मान जब पहले राशि का,दूसरे का मान घटे।
विचरण की इस घटना में,व्युत्क्रम अनुपात रहता है।
गुणनफल इसमें नियत सदा,बात उदय ये कहता है।
संपादक :- मधु कुमार ठाकुर