Tuesday, August 18, 2020

2020 तीजा (भाई के पीरा)


                     

                                                                     रचनाकार ः- उदयसिंह कोलियारे

              




 कइसे मैं आवंव काला मैं लावंव, आ गेहे आज तिहार ये पोरा।
 नइ आवंव दीदी लेये बर तोला, झन करबे ऐसो मोर अगोरा।


सांझे बिहनिया गाँव में हमर, हांका में हांका रोजे परत हे ।
तीजा नइ लाना हे भेजना भी नइहे मुखिया मन हमर मना करत हे  ।
ले आहूं मैंहा दीदी तोला मुढपेली ,झेले ल परही दांडे के झकोरा ।


        नइ आवंव दीदी लेये बर तोला, झन करबे ऐसो मोर अगोरा ।


दाई के दुलौरिन ददा के पुतरी,काहत हंव मैंहा दुखी झन होबे ।
मना लेबे तीजा ऐसो अपन घर में ,हांसत गोठियावत झन तैहा रोबे ।
तरस ही मोर नोनी -बाबू ऐसो,पाये बर दीदी तोर सुघ्घर कोरा ।


       नइ आवंव दीदी  लेये बर तोला, झन करबे ऐसो मोर अगोरा ।


मन हमरो दीदी मांढत नई हे ,रोगहा करोना ह ठाढत नई हे ।
आज महूँ अडबड दुखी  होवत हों, बहिनी के मया बर महूँ रोवत हो।
आवस नहीं तैं,जानत हंव तभो ले, राखे  हंव करके तोर बर मैं जोरा ।


       नइ आवंव दीदी लेये बर तोला,झन करबे ऐसो मोर अगोरा । 






                              संपादकः- मधु कुमार ठाकुर

परिमेय सँख्या और भिन्न सँख्या में अंतर

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