Monday, January 6, 2020

प्रतियोगी परीक्षा के पीछे का विज्ञान


नमस्कार दोस्तों,







                  आज का Blog मेरे उन साथियों को समर्पित है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं। इस ब्लॉग में हम उन बातों की ओर फोकस करेंगे जिधर हमारा ध्यान अक्सर जाता ही नहीं है। या हम जानने की कोशिश ही नहीं करते हैं। यह आर्टिकल मेरे खुद के एक्सपीरियन्स पर आधारित है।हालांकि मैंने अभी तक या किसी अन्य प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोई ऑफिशल कोचिंग नहीं लिया है।

                   बात यही कोई तकरीबन दो -ढाई साल पहले की है जब मैं CGPSC 2016 का मुख्य परीक्षा लिख के आया था। EXAM  की तैयारी के दौरान सभी प्रतियोगियों के जैसे मैंने भी जब(2012) से पैटर्न बदला था,तब से का UNSOLVED PAPER रखा था।   मुख्य परीक्षा के तीसरे पेपर भारतीय इतिहास और संविधान की तैयारी करते वक्त मुझे जरा भी नहीं लगा था कि शिवाजी के बारे में कोई प्रश्न पूछा जा सकता था। क्योंकि पैटर्न CHANGE होने के बाद तक कभी भी इस प्रकार के प्रश्न को पूछा नहीं गया था।






                     उस साल एक MOVIE खूब फेमस हुआ था जिसका टाइटल नाम था --बाजीराव मस्तानी। जिसमे  शिवाजी के प्रधानमंत्री बाजीराव की कहानी को दिखाया गया था। इस फिल्म में शिवाजी केंद्रीय पात्र नहीं थे। एक फ़िल्मकार सभी प्रकार के दर्शकों को ध्यान में रखकर कोई फिल्म बनाते हैं जिसमें सभी प्रकार के मसालों को भरा जाता है.ताकि Movie  को सराहना तो मिले ही साथ ही फिल्म खूब सारा लागत को वसूल कर पाए।
               लेकिन हम लोग कोई Movie देखते हैं तो सिर्फ मनोरंजन के दृष्टिकोण से देखते है ना। इसलिए हमें हमारी आवश्यकताओं का सामान सामान्य घटनाओं में नहीं मिल पता है। PSC या UPSC की तैयारी करने वालों को Local Man की सोच से अलग विचार रखना होगा। 

                जब हम प्रशासन में जाने के लिए इतनी पढ़ाई और मेहनत करते हैं तो हमें हरेक क्रियाकलाप और घटना को हमारे सब्जेक्ट्स से जोड़कर देखने की कोशिश करनी चाहिए।यहीं पर मुझसे चूक हो गया और मैं इतिहास के उस भाग को स्किप कर गया जिसमें शिवाजी के बारे में दिया गया है। एग्जाम के बाद मैं अपना Valuation करने के लिए जब सभी प्रश्नपत्रों को फिर से खंगाला और ठन्डे दिमाग से सोचा  तब महसूस हुआ कि परीक्षा की तैयारी में ज्यादा पढ़ना ही काफी नहीं है बल्कि क्या पढ़ना और कब पढ़ना है ये भी जानना उतना ही Important है।


               फिल्म देखने के बाद अगर अगले एक दिन में मैं इतिहास के उस हिस्से को थोड़ा सा भी देख    लिया होता तो शायद मुझे वह प्रश्न उतना अटपटा नहीं लगता। एवं मैं दूसरे प्रतियोगी से अलग विचार रखने वाला बन पाया रहता। हम सब लोग जिसप्रकार स्कूल्ज में पढ़ते है उसी तरीके से ही Competition Exam की तैयारी भी करते है इसलिए सफलता के लिए हमे ज्यादा इंतजार करना पड़ता है। 

                       यदि हमारी तैयारी इसीप्रकार साइंटिफिक तरीके की होगी तो हम पूछे जाने वाले बहुत कुछ प्रश्नों को Predict कर सकते हैं। और फिर हमारी जो सोच अभी तक की बनी हुयी है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में कुछ भी पूछा जा सकता है,यह बिलकुल भ्रम लगने लगेगा। अगर आपके Exam की तैयारी सभी विषयों में इसीप्रकार की होगी तो आपका आत्मविश्वास भी बढ़ते जायेगा।
       
                            देश -विदेश में इतनी सारी घटनायें घटते रहती है जो कि किसी ना किसी सब्जेक्ट से रीलेटेड रहती है ,बस हमे जागरूक रहने की जरुरत रहती है।अगर हम प्रशासनिक अधिकारी बनना      चाहते हैं तो प्रतिदिन की राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय घटनाक्रमो को इतिहास,भूगोल,अर्थशास्त्र,विज्ञान,और संविधान की दृष्टि से देखना चाहिए। 




                         अतः जागरूक एवं संवेदनशील परीक्षार्थियों को किसी भी घटना के घटित होने पर उपरोक्त 4 -5 विषयों से जोड़कर देखना चाहिए और अगर उस घटना का विषयों से जरा भी संबंध हो तो उस विषय के उस कड़ी को पढ़ लेना चाहिए। यह तरीका सभी प्रतियोगियों  अपनाना चाहिए। 


                              आगामी परीक्षाओं के लिए बधाई और अनंत शुभकामनायें 
                                                                  सधन्यवाद 


                   

परिमेय सँख्या और भिन्न सँख्या में अंतर

दोस्तों नमस्कार,                         बहुत महिनों बाद आज यह आर्टिकल लिख रहा हूँ। निरंतरता की इस रूकावट के लिए मैं माफी चाहता हूँ। जैसा कि...